क्रिकेट के 3 नियम जिनकी समीक्षा अगले विश्व कप से पहले जरुरी है

वर्ल्ड कप 2019 जितना रोचक रहा उतने ही विवादास्पद रहे क्रिकेट के कई नियम और निर्णय| क्रिकेट के 3 नियम जिनकी समीक्षा आईसीसी को अगले विश्व कप से पहले करनी चाहिए ताकि और कोई टीम न्यूजीलैंड की तरह बिना हारे ही उपविजेता घोषित न कर दी जाए|

वर्ल्ड कप 2019 का फाइनल क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े मुकाबले में बदल गया। इस मैच के नतीजों के लिए नया पैमाना तय था, जिससे एक टीम को अपार उत्साह मिला, तो वहीं दूसरी टीम के लिए यह दिल तोड़ने वाला रहा। यह मैच थीम पार्क में रोलर-कोस्टर सवारी की तरह था, जिसमें हर वक्त दर्शकों के दिलों की धड़कने तेज थी। इस मैच को दौरान कई उतार चढ़ाव आये लेकिन किसी भी समय विजेता का अनुमान लगाना कठिन था।

इस मैच का रोमांच आखिरी समय में और भी तेज हो गया जब यह मुकाबला टाई हुआ। दर्शकों के चबाने के लिए नाख़ून नहीं बचे थे, तभी इस मुकाबले के अंतिम क्षण में सुपर ओवर में बराबरी पर समाप्त हुआ। इसके बाद विश्व कप फाइनल में विजेता तय करने के लिए नए पैमाने का सहारा लिया गया और मैच के दौरान ज्यादा बाउंड्री लगाने वाली इंग्लैंड को विजेता घोषित किया गया। यह एक ऐसा नियम था, जिसने पुरे क्रिकेट जगत को चौंका दिया।

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यह मैच न केवल क्रिकेट की गुणवत्ता, प्रदर्शन और भावनाओं की अधिकता के लिए, बल्कि पहली बार शामिल किये गये कुछ नियमों की वजह से भी याद रखा जाएगा। यह ऐसा खेल था जिसने विश्व भर के क्रिकेट प्रसंशकों तक अपनी पहुँच बनायी। इस मैच के दौरान उत्साह के साथ साथ कई त्रुटी पूर्ण नियम भी देखने को मिले जिन पर अगले विश्व कप से पहले समीक्षा की जरुरत है। आज हम देखेंगे क्रिकेट के 3 नियम जिनकी समीक्षा पर आईसीसी को ध्यान देने की जरुरत है|

क्रिकेट के 3 नियम जिनकी समीक्षा अगले विश्व कप से पहले होनी चाहिए|


# 3 डीआरएस टेक्नोलॉजी को और ज्यादा कुशल बनाने की जरुरत: रोहित शर्मा: क्रिकेट के 3 प्रमुख नियम जिनकी अगले विश्व कप से पहले समीक्षा की जरुरत है

डीआरएस टेक्नोलॉजी शुरू से ही विवादों में रही है। भारत सहित कुछ टीमों ने लंबे समय तक द्विपक्षीय सीरीज में इसे लागू नहीं किया था। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी अन्य टीमें न भी किसी न किसी वक्त इसका विरोध किया था।

डीआरएस 2011 विश्व कप के बाद सभी आईसीसी इवेंट्स का अहम हिस्सा बन गया। हालाकिं अब भी इसका पूरी क्षमता के साथ इस्तेमाल नहीं होता है। प्रत्येक पारी में 1 रिव्यू की उपलब्धता इसकी सबसे बड़ी खामी है। कई बार इसका इस्तेमाल सलामी बल्लेबाज के साथ ही समाप्त हो जाता है, और फिर पूरे मैच में कठिन परिस्थितियों में भी उनके पास रिव्यू उपलब्ध नहीं होता है।

यह सही है कि डीआरएस का इस्तेमाल विवेक से किया जाना चाहिए, लेकिन जब टेक्नोलॉजी उपलब्ध हो तो इसका उपयोग क्यों न किया जाए। बेहतर विकल्प यह हो सकता है कि शुरूआती 25 ओवर में 1 रिव्यू हो और अगर उसका 25 ओवर तक इस्तेमाल नहीं होता है तो उस टीम के पास 2 रिव्यू हो जायेंगे।

अन्य मुद्दा हॉटस्पॉट टेक्नोलॉजी की भागीदारी का है। वेस्टइंडीज के खिलाफ रोहित का आउट होना काफी विवादास्पद था, क्योंकि स्निकोमीटर के सबूत प्रयाप्त नहीं थे। ऐसे में बेहतर समाधान खोजने के लिए हॉट स्पॉट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा सकता था।

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# 2 बाउंड्री एकदिवसीय मैचों का परिणाम तय नहीं कर सकती: न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम

वर्ल्ड कप 2019 के फाइनल में न्यूजीलैंड मैच नहीं हारने के बावजूद हार गया। एक सिमित ओवर के एकदिवसीय मैच के बाद सिमित सुपर ओवर के इस्तेमाल के चलते बाउंड्री को पैमाना बनाकर इंग्लैंड को जीत दी गयी। यह टी-20 के लिए सही हो सकता है लेकिन क्या एकदिवसीय मैचों का नतीजा बाउंड्री से तय करना ठीक रहेगा?

इस मैच में दोनों टीमों ने 241 रन बनाए, एक ने ज्यादा बाउंड्री लगाकर तो दूसरी ने ज्यादा सिंगल और डबल चुराकर इस काम को अंजाम दिया। दो अलग अलग तरीकों से इन दोनों ने अपनी मंजिल हासिल की तो यह नियम कैसे एक को सही और दूसरे को गलत बता सकता है। टी-20 जैसे तेज फॉर्मेट में इसका उपयोग सही हो सकता है, लेकिन 50 ओवर के एकदिवसीय मैचों में यह फिट नहीं बैठता। यह एक ऐसा फॉर्मेट है जहाँ सिंगल, डबल और बाउंड्री की अपनी अपनी जगह महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

एकदिवसीय मैचों के बेहतर परिणाम के लिए सुपर ओवर की लिमिट बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए। इस नियम की समीक्षा पर भी आईसीसी को विचार करना चाहिए|

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#1 राउंड रोबिन फॉर्मेट में प्ले ऑफ, सेमीफाइनल से बेहतर विकल्प हो सकता है:टीम इंडिया

वर्ल्ड कप 2019 राउंड रोबिन फॉर्मेट में खेला गया और उसके बाद लीग मैचों की टॉप 4 टीमों के बीच 2 सेमीफाइनल मुकाबले खेले गये। इस विश्व कप में निरंतर शानदार प्रदर्शन कर लीग चरण में टॉप पर रहने वाली भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें सेमीफाइनल के चलते बाहर हो गयी वहीं तीसरे और चौथे नंबर की टीमों के बीच विश्व कप का फाइनल खेला गया। अगर फाइनल के लिए टीमों का फैसला सेमीफाइनल से ही होना है, तो लीग चरण में टॉप पर रहने का फायदा क्या हुआ?

पिछले विश्व कप में भी सेमीफाइनल का इस्तेमाल हुआ है, लेकिन उस समय विश्व कप में भाग लेने वाली टीमें 2 ग्रुप में बंटी होती थी। लेकिन यह टूर्नामेंट राउंड रोबिन फॉर्मेट में हुआ, जिसमें सभी टीमों को एक-दूसरे के साथ खेलने का मौका मिला।

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यह है आईपीएल का नियम:

इससे बेहतर विकल्प के लिए आईपीएल से सिख ली जा सकती है, जहाँ टॉप 2 में रहने वाली टीम को हारने के बाद भी फाइनल में जाने का एक मौका एक और मिलता है। आईपीएल में काफी समय से प्ले ऑफ का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें टॉप 2 टीमों के बीच पहला मैच होता है| जबकि तीसरी और चौथी टीम के बीच दूसरा मैच खेला जाता है। पहले मैच में हारने वाली टीम को दूसरे मैच की विजेता टीम के साथ खेलने का मौका मिलता है। वहीं पहले मैच की विजेता टीम सीधे फाइनल में प्रवेश करती है।

वर्ल्ड कप में अगर लीग मैच राउंड रोबिन फॉर्मेट में खेले जाते है, तो सेमीफाइनल की जगह प्ले ऑफ बेहतर विकल्प हो सकता है।

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